Thursday, May 12, 2016

सूर्य और राहू की युति.

सूर्य और राहू की युति.....
कुंडली में सूर्य नवग्रहों का राजा होता है और सूर्य के नजदीक जब कोई भी ग्रह आ जाता है तो वो अस्त हो जाता है यानी की अपनी छवि और प्रभाव को खो देता है ............ लेकिन कभी कभी ये काम उल्टा भी हो जाता है जब राहू सूर्य के साथ युति कर बैठता है तो इस स्थति को सूर्य ग्रहण योग कहा जाता है |
इस प्रकार की युति को अशुभ योग माना जाता है क्युकी इस युति के कारन जातक अल्पायु हो जाता है कुछ एक मामलो को छोड़कर यह सही पाया जाता है |सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है इसलिए राहू की युति होने पर जातक में आत्म विश्वास की कमी रहती है |जातक की बयालीस साल की उम्र के आसपास संतान कष्ट पाती है |धन भी नाश हो जाता है |सूर्य और राहू की अशुभ युति कुंडली में चाहे किसी भी भाव में हो तो वह उस स्थान से सम्बंधित शुभ फलो का नाश कर देता है नातेदार और रिश्तेदारों से भी सम्बन्ध ख़राब करवा देता है |ऐसे समय में शत्रु ग्रह अपनी अपनी समयावधि में ही जातक को अशुभ फल देते है जैसे की शुक्र २५ वे वर्ष में, शनि ३६ वे वर्ष में और राहू ४२ वे वर्ष में तकलीफ देते है |
शत्रु ग्रह के साथ युति हो तो बुध ग्रह की शांति करवाने पर या उपाय करने पर ही अशुभ फलो में कमी होती है |अशुभ युति में सूर्य के साथ मित्र ग्रह चन्द्र, मंगल, गुरु हो तो उन पर भी अशुभ प्रभाव पड़ता है |सरकारी काम काज में परेशानिया बढ़ जाती है |
सूर्य रहू की युति हो तो अगर राहू की शांति करवाई जाए तो फिर रहू की समयावधि के बाद सूर्य का शुभ फल मिलता है और राहू के काल में भी अशुभ फलो में कमी आती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है |
अशुभ प्रभाव के कारण जातक के विचार गंदे और कपट पूर्ण होते है |सूर्य और रहू की युति में अगर बुध साथ में हो तो फिर अशुभ फलो में कमी हो जाती है और सरकारी कामो में लाभ मिलता है |वैसे सूर्य और राहू अगर नवमे या ग्यारवे भाव में एक साथ हो तो विशेष रूप से ज्यादा अशुभ फल प्राप्त होते है | जीस घर में ये बैठे होते है उसके साथ साथ अपने आस पास के घरो को भी बिगाड़ देते है और अशुभ फल देने लगते है |जैसे की अगर ये युति जातक के छठे घर में हो तो सातवे भाव को भी दूषित कर डालते है और बारवे भाव को भी अशुभ बना देते है |
जातक की कुंडली में यदि सूर्य और राहू की युति हो और मंगल भी नीच का हो अशुभ हो या फिर राहू पर द्रष्टि न हो तो जातक को २१ और ४२ वर्ष की आयु में संतान को दुखी कर डालती है |जातक का भाग्य और स्वास्थ्य दोनों ही कमजोर हो जाते है |शरीर पर काले और सफ़ेद दाग कोढ़ जैसे हो जाते है |
शनि और मंगल दोनों नवमे भाग्य स्थान में बैठे हो और सूर्य और राहू की युति कुंडली में किसी भी स्थान में हो तो जातक का जन्म के समय से ही जीवन अच्छा रहता है |सूर्य और राहू की युति आठवे और दसवे भाव में हो तो जातक अल्पायु ही होता है |
----------------- इस युति के अशुभ का निवारण के उपाय-----------
--१--चोरी या धनहानि के कारन अगर आर्थिक हालत बिगडती है तो फिर कपडे में थोड़े से जौ बांधकर मकान के अंधरे हिस्से में वजन के निचे दबाकर रखे |
--२-- जातक को बार बार बुखार आता हो और आकर के जल्दी न उतरता हो तो जौ को गौ मूत्र में धोकर के नदी में बहाना चाहिए |
--३-- राहू की वस्तुए बादाम, नारियल आदि को बहते पानी में बहाना चाहिए |
--४-- ताम्बे का पैसा रात में अग्नि पर तपकर सवेरे बहते पानी में बहाए |पैसा पानी में बहाने के बाद तुरंत ही अपने रिश्तेदारों के सामने या पास न जाए उनके ऊपर राहू का दोष हो सकता है |
शुंभ भवतु.

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