नवमांश कुंडली
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ,जन्म लग्न ,चन्द्रलग्न कुडली के अतिरिक्त विविध वर्ग कुडली होरा,द्रेष्काण,सप्तमाश,नवमांश ,द्वादशांश ,त्रिंशांश का महत्व विशेष माना गया हे इन में नवमांश कुंडली का महत्व सविशेष हे
नवमांश को इतना महत्व क्यों ?
||"नून नवांशे तू कलत्रसौख्यं "|| नवमांश से पति या पत्नी का सुख देखा जाता हे
यह कहा गया हे पर उस से अतिरिक्त नवमांश कुंडली का महत्व इस लिए अन्य वर्ग कुंडली से बढ़ जाता हे की नवमांश कुंडली से मूल जन्म कुडली के ग्रहों का बलाबल भी देखा जाता हे ,
नवमांश कुंडली सोधन
३०अन्श की एक राशि ३ अंश २०" के ९ समान भाग
३ अंश २०" = एक नवमांश
१)मेष ,सिंह ,धन .......मेषादि राशि (अग्नि तत्व )
२)वृषभ ,कन्या ,मकर ...मकरदि राशि (पृथ्वी तत्व )
३)मिथुन ,तुला, कुम्भ ... तुलादि राशि (वायु तत्व )
४)कर्क ,वृश्र्चिक ,मीन ..कर्कादि राशि (जल तत्व )
नवमांश भाग
त्रिकोण में आनेवाली तीनो राशिया अग्नि ,पृथ्वी ,वायु,जल यह चारो तत्व में से एक होती हे
ग्रह या लग्न किस नवमांश में हे यह जानने के लिए ऊपर दिए गए त्रिकोण समूह में से गृह या लग्न किस समूह में आता हे और उस के अंश कितने हे यह देखना होगा ex. सूर्य -००-२६-५४-४२
यहाँ सूर्य के राशि अग्नितत्व समूह में नवमाश भाग के (9th part ) में सम्मिलित होता हे अत: मेष से सुरु कर ९ मी राशी धनु हे तो यहाँ सूर्य धनु राशी के नवमांश में आएगा |
शुभं भवतु
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ,जन्म लग्न ,चन्द्रलग्न कुडली के अतिरिक्त विविध वर्ग कुडली होरा,द्रेष्काण,सप्तमाश,नवमांश ,द्वादशांश ,त्रिंशांश का महत्व विशेष माना गया हे इन में नवमांश कुंडली का महत्व सविशेष हे
नवमांश को इतना महत्व क्यों ?
||"नून नवांशे तू कलत्रसौख्यं "|| नवमांश से पति या पत्नी का सुख देखा जाता हे
यह कहा गया हे पर उस से अतिरिक्त नवमांश कुंडली का महत्व इस लिए अन्य वर्ग कुंडली से बढ़ जाता हे की नवमांश कुंडली से मूल जन्म कुडली के ग्रहों का बलाबल भी देखा जाता हे ,
नवमांश कुंडली सोधन
३०अन्श की एक राशि ३ अंश २०" के ९ समान भाग
३ अंश २०" = एक नवमांश
१)मेष ,सिंह ,धन .......मेषादि राशि (अग्नि तत्व )
२)वृषभ ,कन्या ,मकर ...मकरदि राशि (पृथ्वी तत्व )
३)मिथुन ,तुला, कुम्भ ... तुलादि राशि (वायु तत्व )
४)कर्क ,वृश्र्चिक ,मीन ..कर्कादि राशि (जल तत्व )
नवमांश भाग
त्रिकोण में आनेवाली तीनो राशिया अग्नि ,पृथ्वी ,वायु,जल यह चारो तत्व में से एक होती हे
ग्रह या लग्न किस नवमांश में हे यह जानने के लिए ऊपर दिए गए त्रिकोण समूह में से गृह या लग्न किस समूह में आता हे और उस के अंश कितने हे यह देखना होगा ex. सूर्य -००-२६-५४-४२
यहाँ सूर्य के राशि अग्नितत्व समूह में नवमाश भाग के (9th part ) में सम्मिलित होता हे अत: मेष से सुरु कर ९ मी राशी धनु हे तो यहाँ सूर्य धनु राशी के नवमांश में आएगा |
शुभं भवतु
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